रूपक अलंकार | रूपक अलंकार किसे कहते हैं? रूपक अलंकार के उदाहरण
रूपक अलंकार किसे कहते हैं? रूपक अलंकार के उदाहरण
रूपक अलंकार(Metaphor):- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
दूसरा उदाहरण-
बीती विभावरी जागरी !
अम्बर-पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी।
यहाँ, ऊषा में नागरी का, अम्बर में पनघट का और तारा में घट का निषेध-रहित आरोप हुआ है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
कुछ अन्य उदाहरण :
(a) मैया ! मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
(b) चरण-कमल बन्दौं हरिराई।
(c) राम कृपा भव-निसा सिरानी।
(d) प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धूल जाएगा।
(e) चरण-सरोज पखारन लागा।
(f) पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।
(g) एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास
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